Wednesday, July 15, 2020

कावड़ यात्रा के बारे में

किसी पावन तीर्थ जैसे हरिद्वार से कंधे पर गंगाजल लेकर आने और अपने घर के नजदीक भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों पर चढ़ाने की परंपरा ‘कांवड़ यात्रा’ कहलाती है। सावन में भगवान महादेव की और भक्तों के बीच की दूरी कम हो जाती है। इसलिए भगवान को प्रसन्न कर मनोवांछित फल पाने के लिए कई उपायों में एक उपाय कांवड़ यात्रा भी है, इसे शिव को प्रसन्न करने का सहज मार्ग माना बताया जा रहा है
क्या आपको पता है शिव जी और ब्रह्मा, विष्णु जी तो केवल तीन लोक के भगवान है

ये अपने साधक के पाप कर्म नहीं काट सकते
ये साधक के भाग्य को ना ही बदल सकते हैं
लेकिन एक परमात्मा जो सबसे सक्षम है जिसकी शरण में जाने के लिए पूर्ण गुरु की खोज करके भागती ग्रहण करके आजीवन भगति करके उस परमात्मा को पाया जा सकता है अर्थार्त पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है
लेकिन वर्तमान में बोले श्रद्धालू को पता ही नहीं कोन पूर्ण परमात्मा है
इसके लिए संत रामपाल जी महाराज का सत्संग सुने
प्रमाण सहित आपको जानकारी मिलेगी
वर्तमान में सभी शास्त्रों से प्रमाणित ग्यान केवल संत रामपाल जी महाराज बता रहे हैं
यकीन ना हो तो सुनकर देखिए
👇
साधना Tv 7 :30 pm से
और ज्ञान गंगा पुस्तक भी पढ़े
📺📺📕📕

Wednesday, July 8, 2020

Definition of human

मनुष्य इस संसार में आता है, उसके अन्दर स्वाभाविक ही यह जानने की इच्छा पैदा होती है कि वो क्या है, कहाँ से आया है, कहाँ जाएगा? इसी तरह हर व्यक्ति जो किसी भी जाति, धर्म, समाज, सम्प्रदाय, देश का हो, वो भी यह जानने के लिए विवश है कि मेरी जाति, धर्म, सम्प्रदाय क्या है, कैसे बनी? अपने आप को जानने से पहले इन बातों का ज्ञान आवश्यक है. इन बातों के ज्ञान के लिए प्रकट रूप में पता लगता है कि मुझे माता-पिता ने उत्पन्न किया और मेरा यह नाम है, यह जाति है, यह धर्म है. तो यह माता पिता बताते हैं, तेरा क्या नाम है, तू हमारा लड़का-लड़की है मानव वास्तव में कोन कहला सकता है
 आइए इस पर आपको थोड़ा विवरण देते हैं
मानव शब्द ही मानवता को दर्शाता है
जिसके अन्दर मानवता नहीं है दूसरे के प्रति - जेसे किसी को तकलीफ में देखकर भी उसका सहयोग ना देना, किसी गरीब की मदद ना करना, इंसान ना होने के ही लक्षण है
एक अच्छे इंसान के लक्षण होते हैं कि वह अपने मनुष्य जीवन के उदेश्य को सफ़ल करता है
सफल भी पूर्ण गुरु से नाम दीक्षा लेकर अंतिम साँस तक भक्ति करने से बुराईयों से दूर रहना, रिश्वतखोरी, दाहेज नहीं लेना

वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज के शिष्य  में ही इंसान वाले गुण है
क्यों है क्योंकि संत रामपाल जी महाराज द्वारा दी हुई शिक्षा से किसी भी प्रकार की बुराई नहीं करते
चोरी जारी, रिश्वतखोरी, नशा, दहेज प्रथा, धोखाधड़ी आदि नहीं करते जो कि इंसान में गुण होने चाहिए
आज समाज के प्रत्येक मानव को इंन नियमों का पालन करना चाहिए ताकि परमात्मा का विधान ना टूटे और परमात्मा कबीर जी हमारे साथ रहे
परमात्मा की भक्ति करना इंसान का प्रथम कार्य होता है
इसलिए और अधिक जानकारी के लिए
देखिए
साधना Tv 7 :30 pm से
Definition of human

Definition of human

Wednesday, July 1, 2020

Create a clean society

अच्छे समाज के निर्माण के लिए अच्छा चरित्र आवश्यक है । क्योंकि अच्छा चरित्र ही अच्छे समाज का जनक होता है।
चरित्र निर्माण अच्छी शिक्षा से हो सकता है परन्तु वर्तमान की शिक्षा पद्धति इसमें सक्षम नहीं है। बच्चों के चरित्र निर्माण के लिए उन्हें आध्यात्मिकता से जोड़ना आवश्यक है। धार्मिक विचारों से ही समाज की उन्नति होती है अच्छे संस्कारों से(भक्ति संस्कार)  बच्चे शुरू से ही धार्मिक विचारों के ,बुराईयों से दूर रहेंगेक्योंकि अच्छे व धार्मिक विचारों वाले बच्चे भगवान से डरने वाले होंगे व कुछ ग़लत कदम उठाने से डरेंगे जिससे कि समाज अच्छाई की ओर अग्रसर होने लगेगा।

अगर आज वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज के सत्संग सभी सुने तो एक बहुत ही सुन्दर समाज तैयार होगा कोई बुराई नहीं करेगा सभी प्यार से रहेगे
क्योंकि उनके सत्संग में वो शक्ति है जो इंसान को शैतान से देवता बना देती है
बुराईयों की तरफ सोचेगा भी नहीं
नशा, दाहेज प्रथा, रिश्वत, चोरी, बेईमानी लूट, आदि तुरन्त त्याग देगा इसी भावनाओ को
और भगवान से डरकर कदम उठाएगा
इस समाज को निर्मल बनाना है तो संत रामपाल जी महाराज के सत्संग जरूर सुने
साधना Tv 7 :30 pm से
पढ़े पुस्तक
जीने की राह 🙏

Wednesday, June 24, 2020

Way To Salvation

नमस्कार दोस्तों
                   आज हम अध्यात्म ज्ञान के बारे में बात करेंगे
    आध्यात्मिकता की बात की जाए तो
दुनिया में सबसे ज्यादा भगवान को मानने वाले लोग हैं जो परमात्मा की प्राप्ति करना चाहते हैं
आज अगर कोई नास्तिक है भी तो उसका कारण एक ही है कि उसे सही भक्ति साधना का मार्ग नहीं मिला।
जिस वजह से उन्होंने नास्तिकता को चुन लिया। वास्तविकता यह है कि भगवान हैं और नर आकार हैं हम ही भूले हुए हैं।
उस भगवान की सत साधना करके हम मोक्ष की प्राप्ति भी कर सकते हैं
मोक्ष से तो आप सब परिचित ही होंगे
मोक्ष यानी मुक्त होना अर्थात ऐसे स्थान पर चले जाना जहां से फिर  कभी  मृत्यु लोक  पर नहीं आना  पड़ता
जन्म और मरण समाप्त हो जाता है
आत्मा जहा से आई थी वहीं वापिस चले जाना
उस परमात्मा के पास रहती है जो उपर सतलोक में विराजमान है 

  
Way To Salvation
Way To Salvation



जिसके एक रूम का प्रकाश करोड़ सूर्य - चंद्रमा मिला दे फिर फ़ी फीका रह जाता है इतना सुन्दर और शीतलता प्रदान होती है उसको देखने से
उस अविनाशी स्थान को प्राप्त करने के लिए
पूर्ण संत से नाम दीक्षा ग्रहण कर. सहज में भक्ति करके प्राप्ति होती है

*मोक्ष - मोक्ष कैसे प्राप्त हो सकता है ?*
न जाने कितने ॠषि मुनि तपस्वी साधना करके थक गए परन्तु उन्हें परमात्मा के दर्शन नहीं हुए बस प्रकाश सा दिखाई दिया ऐसा  उनके अनुभवों में लिखा हो ,जिसको आधार मानकर उन्होंने मान लिया कि परमात्मा निराकार है और यही अन्तिम उपलब्धि मान ली।
वास्तव में परमात्मा साकार है जिसका प्रमाण हमारे वेदों में है: -
ऋग्वेद मंडल 9 सुक्त 82 मंत्र 2 में स्पष्ट लिखा है कि परमात्मा का नाम कविर्देव है।
मोक्ष प्राप्त करने के लिए हमें सबसे पहले उस गुरु की पहचान करनी होगी जो हमें पूर्ण मोक्ष प्राप्त करवा सकते हैं, क्योंकि गुरु बनाना बहुत आवश्यक है और गुरु बिना मोक्ष नहीं हो सकता।
अब सवाल यह उठता है कि आज के समय में इतने धर्म गुरु हैं पहचान कैसे हो कि कौन हमें मोक्ष का रास्ता बताएगा।
इसकी पहचान होगी सत्संग में बताए सच्चे ज्ञान से।
मैंने एक दिन साधना चैनल पर शाम 7:30 बजे एक संत का सत्संग सुना ,उन संत का नाम संत रामपाल जी महाराज है । वो संत हमारे सद्ग्रंथो से प्रमाणित करके सत्संग सुना रहे थे जैसे: - पवित्र गीता जी के अं नं 16 के 23 नं श्लोक में प्रमाण है जो व्यक्ति शास्त्र विधि त्याग कर मनमाना आचरण करता है उसे न सुख होता है न सिद्धि प्राप्त होती है और न ही परम गति होती है।

Way To Salvation
Way To Salvation

पवित्र गीता जी में यह भी बताया है कि सच्चे संत की क्या पहचान है ?
प्रमाण: - गीता अं नं 15 के 1 से 4 नं श्लोक में बताया है जो उल्टे लटके संसार रूपी वृक्ष के सारे विभाग के बारे में विस्तार से बताएगा  ,वही तत्वदर्शी संत है।
गीता अं नं 17 के 23 नं श्लोक में प्रमाण है: - ऊँ,तत्,सत् पूर्ण ब्रह्म को पाने का मूल मंत्र है जिसमें तत् और सत् सांकेतिक है जो पूर्ण गुरु ही बता सकता है।
जब हमें सच्चे संत की पहचान हो जाएगी  और पूर्ण परमात्मा की पहचान हो जाएगी तो मोक्ष में कोई देर नहीं है।
क्योंकि भक्ति करना बहुत आसान है  कहीं बैठ कर तप नहीं करना, चलते -फिरते काम करते -करते भक्ति करना है
परमात्मा कुछ भी कर सकते हैं अपने साधकों को पूर्ण लाभ देते हैं, बस अभी तक हमें उस परमात्मा की पहचान ही नहीं हुई थी जो हमारे संकटों का निवारण कर सके ,चाहे वो कोरोना जैसी भयंकर बीमारी ही क्यों न हो ।
सतगुरु जो चाहे सो करहीं ,चौदह कोटि दूत जम डरही।
ऊत भूत जम त्रास निवारे, चित्रगुप्त के कागज़ फाड़े।।
ऐसा निर्मल ज्ञान मैने आज तक नहीं सुना था जो मैंने साधना चैनल पर 7:30 शाम को सुना ।

आप भी अवश्य सुनें और
अवश्य पढ़ें
पुस्तक ज्ञान गंगा 📕📕

सतगुरु एक ही होता है एक समय में
वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज है
अपना कल्यान करवाए देरी ना करे
🙏🙏

Wednesday, June 17, 2020

Krishna Janmashtami


नमस्कार, 
आपने श्री कृष्ण जी की अगर परम भक्त की बात करे तो सभी की जुबान पर एक ही नाम आता है     - - - - मीरा 
क्या मीरा वास्तव में श्री कृष्ण जी की परम भक्त थी 
आइए जानते हैं 
पूरा जरूर पढ़े 
Krishna Janmashtami
Krishna Janmashtami 

मीरा बाई की कथा’’
मीरा बाई का जन्म राजपूत जाति में हुआ था। महिलाओं को घर से बाहर जाने पर
प्रतिबंध था, परंतु मीराबाई ने किसी की प्रवाह नहीं की। फिर उसका विवाह राजा से हो
गया। राणा जी धार्मिक विचार के थे। उसने मीरा को मंदिरों में जाने से नहीं रोका, अपितु
लोक चर्चा से बचने के लिए मीरा जी के साथ तीन-चार महिला नौकरानी भेजने लगा। जिस
कारण से सब ठीक चलता रहा। कुछ वर्ष पश्चात् मीरा जी के पति की मृत्यु हो गई। देवर
राजगद्दी पर बैठ गया। उसने कुल के लोगों के कहने से मीरा को मंदिर में जाने से मना
किया, परंतु मीराबाई जी नहीं मानी।
मीरा बाई कृष्ण जी के अटूट भगत थी

जिस श्री कृष्ण जी के मंदिर में मीराबाई पूजा करने जाती थी, उसके मार्ग में एक
छोटा बगीचा था। उसमें कुछ घनी छाया वाले वृक्ष भी थे। उस बगीचे में परमेश्वर कबीर
जी तथा संत रविदास जी सत्संग कर रहे थे। सुबह के लगभग 10 बजे का समय था। मीरा
जी ने देखा कि यहाँ परमात्मा की चर्चा या कथा चल रही है। कुछ देर सुनकर चलते हैं।
परमेश्वर कबीर जी ने सत्संग में संक्षिप्त सृष्टि रचना का ज्ञान सुनाया। कहा कि श्री
कृष्ण जी यानि श्री विष्णु जी से ऊपर अन्य सर्वशक्तिमान परमात्मा है। जन्म-मरण समाप्त
नहीं हुआ तो भक्ति करना न करना समान है। जन्म-मरण तो श्री कृष्ण जी (श्री विष्णु) का
भी समाप्त नहीं है। उसके पुजारियों का कैसे होगा। जैसे हिन्दू संतजन कहते हैं कि गीता
का ज्ञान श्री कृष्ण अर्थात् श्री विष्णु जी ने अर्जुन को बताया। गीता ज्ञानदाता गीता अध्याय
2 श्लोक 12, अध्याय 4 श्लोक 5, अध्याय 10 श्लोक 2 में स्पष्ट कर रहा है कि हे अर्जुन!
तेरे और मेरे बहुत जन्म हो चुके हैं। तू नहीं जानता, मैं जानता हूँ। इससे स्वसिद्ध है

कृष्ण जी का भी जन्म-मरण समाप्त नहीं है। यह अविनाशी नहीं है। इसीलिए गीता
अध्याय 18 श्लोक 62 में गीता बोलने वाले ने कहा है कि हे भारत! तू सर्वभाव से उस
परमेश्वर की शरण में जा। उस परमेश्वर की कृपा से ही तू सनातन परम धाम को तथा
परम शांति को प्राप्त होगा।
परमेश्वर कबीर जी के मुख कमल से ये वचन सुनकर परमात्मा के लिए भटक रही
आत्मा को नई रोशनी मिली। सत्संग के उपरांत मीराबाई जी ने प्रश्न किया कि हे महात्मा जी!
आपकी आज्ञा हो तो शंका का समाधान करवाऊँ। कबीर जी ने कहा कि प्रश्न करो बहन जी!
प्रश्न :- हे महात्मा जी! आज तक मैंने किसी से नहीं सुना कि श्री कृष्ण जी से ऊपर
भी कोई परमात्मा है। आज आपके मुख से सुनकर मैं दोराहे पर खड़ी हो गई हूँ। मैं मानती
हूँ कि संत झूठ नहीं बोलते। परमेश्वर कबीर जी ने कहा कि आपके धार्मिक अज्ञानी गुरूओं
का दोष है जिन्हें स्वयं ज्ञान नहीं कि आपके सद्ग्रन्थ क्या ज्ञान बताते हैं? देवी पुराण के
तीसरे स्कंद में श्री विष्णु जी स्वयं स्वीकारते हैं कि मैं (विष्णु), ब्रह्मा तथा शंकर नाशवान हैं।
हमारा आविर्भाव (जन्म) तथा तिरोभाव (मृत्यु) होता रहता है। (लेख समाप्त)
मीराबाई बोली कि हे महाराज जी! भगवान श्री कृष्ण मुझे साक्षात दर्शन देते हैं। मैं
उनसे संवाद करती हूँ। कबीर जी ने कहा कि हे मीराबाई जी! आप एक काम करो। भगवान
श्री कृष्ण जी से ही पूछ लेना कि आपसे ऊपर भी कोई मालिक है। वे देवता हैं, कभी झूठ
नहीं बोलेंगे। मीराबाई को लगा कि वह पागल हो जाएगी यदि कृष्ण जी से भी ऊपर कोई
परमात्मा है तो। रात्रि में मीरा जी ने भगवान श्री कृष्ण जी का आह्वान किया। त्रिलोकी नाथ
प्रकट हुए। मीरा ने अपनी शंका-समाधान के लिए निवेदन किया कि हे प्रभु! क्या आपसे
ऊपर भी कोई परमात्मा है? एक संत ने सत्संग में बताया है। श्री कृष्ण जी ने कहा कि मीरा!
परमात्मा तो है, परंतु वह किसी को दर्शन नहीं देता। हमने बहुत समाधि व साधना करके
देख ली है। मीराबाई जी ने सत्संग में परमात्मा कबीर जी से यह भी सुना था कि उस पूर्ण
परमात्मा को मैं प्रत्यक्ष दिखाऊँगा। सत्य साधना करके उसके पास सतलोक में भेज दूँगा।
मीराबाई ने श्री कृष्ण जी से फिर प्रश्न किया कि क्या आप जीव का जन्म-मरण समाप्त कर
सकते हो? श्री कृष्ण जी ने कहा कि असंभव। कबीर जी ने कहा था कि मेरे पास ऐसा भक्ति
मंत्रा है जिससे जन्म-मरण सदा के लिए समाप्त हो जाता है। वह परमधाम प्राप्त होता है
जिसके विषय में गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्त्वज्ञान तथा तत्त्वदर्शी संत की
प्राप्ति के पश्चात् परमात्मा के उस परमधाम की खोज करनी चाहिए जहाँ जाने के पश्चात्
साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आते। उसी एक परमात्मा की भक्ति करो। मीराबाई
ने कहा कि हे भगवान कृष्ण जी! संत जी कह रहे थे कि मैं जन्म-मरण समाप्त कर देता हूँ।
अब मैं क्या करूँ। मुझे तो पूर्ण मोक्ष की चाह है। श्री कृष्ण जी बोले कि मीरा! आप उस संत
की शरण ग्रहण करके अपना कल्याण कराओ। मुझे जितना ज्ञान था, वह बता दिया। मीरा
अगले दिन मंदिर नहीं गई। सीधी संत जी के पास अपनी नौकरानियों के साथ जाकर दीक्षा
लेने की इच्छा व्यक्त की तथा श्री कृष्ण जी से हुई वार्ता भी संत कबीर जी से साझा की।

आज वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज ही तत्वदर्शी संत हैं जो जन्म और मृत्यु से पीछा छुड़ाने की भगति साधना बताते हैं जिससे पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति होती है

देखिए साधना Tv 7 :30 pm से


Krishna Janmashtami 

Wednesday, June 10, 2020

God in Christianity According to the Bible


Who is complete God?

who is Supreme God in Christianity According to the Bible ?

When we talk about supreme God in Christianity, then these questions come automatically in our mind like

Who is God?
Why do we need to know about him?
Are God and Jesus the same?
Has anyone seen God?

These questions have remained a mystery for all of us.  All over the world, people are in search of the Supreme God, whether they are theist or atheist. Everyone needs God whether for money, mental peace or salvation. This article would be a complete solution for you if you want to know how can we reach God and get complete salvation.
But here all of these would be answered with proofs.
*who is complete God in Christianity*

in the *Orthodox Jewish Bible, Iyov 36:5*,- See, El is *Kabir*, and despiseth not any; He is Kabir in ko'ach lev (strength of understanding)

*God is not formless*_
World Christianity belief about God being formless contradicts the Holy Bible. In Genesis, in the creation of the universe, on the sixth day, God created humans in his own image.
       
*Holy Bible - Genesis - Sixth Day of Creation*
1:26 - Then God said, "And now we will make human beings; they will be like us and resemble us. They will have power over the fish, the birds and all animals, domestic and wild, large and small."
1:27 - So God created human beings, making them be like himself. He created them male and female,
These verses of the Holy Bible prove that God is not *Formless*.

Sant Rampal Ji Maharaj 
Vachn 
Must watch 
Sadhna tv 7 :30 pm to 

Friday, June 5, 2020

God Is One


Who is complete God

India is a country of religion. 33 crore God and Goddesses who are worshipped in the country in different ways.And do agree that the supreme power is one.
If asked they'll tell that the God is formless; but the truth is different.
The supreme power or the almighty is in form

The God and Goddesses do have their powers but the creator of the universe is different and is visible as human being.  Our holy Scriptures are also evident of this
 It is clear in the *Rigveda Mandal 10, Sukt 4, Mantra 3*
 that the mother does not give birth to the Parmatma,, but he  himself manifests him in the infant form by her word power to redeem her souls from the bond of Kaal.
in *yajurved chapter 40 mantra 8* says that supreme god doesn't take birth from mother's womb. He directly come on lotus flower from satlok.
It is clear in  the Rigveda mandala 9 Sukta 82 Mantra 2 that the name of God is *KavirDev*
There is evidence that Kabir Parmeshwar manifested himself on a lotus flower in Kashi Laharatara Sarovar, the illustration of which was Ashtanand Rishi.
Kabir, na Mera janm na garbh basera, baalak ban dikhlaaya।
Kaashi Nagar jal Kamal pr Dera, yahaan julaahe ne paaya।।

Kabir Parmatma does not take birth from mother.  His body is not of the blood-flesh made of the five tatvs, but the immortal body of one tatv, and therefore the manifest day is celebrated, not the birth anniversary of Kabir Saheb.
Had cham lahu na more, jane satnam upasi.
 Taran Taran Abhay pad (Moksha) daata, main hoon Kabir avinashi।।
So it becomes clear that God Kabir is the Supreme God Who owns all the universe
Must Wath Sadhna Channel to know more Information
VISIT http://www.jagatgururampalji.org


कावड़ यात्रा के बारे में

किसी पावन तीर्थ जैसे हरिद्वार से कंधे पर गंगाजल लेकर आने और अपने घर के नजदीक भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों पर चढ़ाने की परंपरा ‘कांवड़ यात्रा...