Kabir is supreme God
कबीर परमेश्वर ही अविनाशी परमात्मा है। यही
अजरो-अमर है। यही परमात्मा चारों युगों में स्वयं अतिथि रूप में कुछ समय के लिए
इस संसार में आकर अपना सतभक्ति मार्ग देते हैं।
चारों युगों में हम पुकारैं, कूक कहैं हम हेल रे।
हीरे मानिक मोती बरसें, ये जग चुगता ढेल रे
अविगत से चल आए, कोई मेरा भेद मर्म नहीं पाया। न मेरा जन्म न गर्भ
बसेरा, बालक हो दिखलाया। काशी नगर जल कमल पर डेरा, वहाँ जुलाहे ने पाया
परमात्मा कबीर जी अविनाशी है जो कभी नाश में नहीं आते
उनका शरीर हाड चाम से बना हुआ नहीं है
हाड़ चाम लहु ना
मेरे कोई जाने सत्यनाम उपासी। तारन तरन अभय पद दाता, मैं हूँ कबीर अविनाशी।।
कबीर परमेश्वर ही अविनाशी परमात्मा है। यही
अजरो-अमर है। यही परमात्मा चारों युगों में स्वयं अतिथि रूप में कुछ समय के लिए
इस संसार में आकर अपना सतभक्ति मार्ग देते हैं।
चारों युगों में हम पुकारैं, कूक कहैं हम हेल रे।
हीरे मानिक मोती बरसें, ये जग चुगता ढेल रे
अविगत से चल आए, कोई मेरा भेद मर्म नहीं पाया। न मेरा जन्म न गर्भ
बसेरा, बालक हो दिखलाया। काशी नगर जल कमल पर डेरा, वहाँ जुलाहे ने पाया
परमात्मा कबीर जी अविनाशी है जो कभी नाश में नहीं आते
उनका शरीर हाड चाम से बना हुआ नहीं है
हाड़ चाम लहु ना
मेरे कोई जाने सत्यनाम उपासी। तारन तरन अभय पद दाता, मैं हूँ कबीर अविनाशी।।
No comments:
Post a Comment