Wednesday, June 17, 2020

Krishna Janmashtami


नमस्कार, 
आपने श्री कृष्ण जी की अगर परम भक्त की बात करे तो सभी की जुबान पर एक ही नाम आता है     - - - - मीरा 
क्या मीरा वास्तव में श्री कृष्ण जी की परम भक्त थी 
आइए जानते हैं 
पूरा जरूर पढ़े 
Krishna Janmashtami
Krishna Janmashtami 

मीरा बाई की कथा’’
मीरा बाई का जन्म राजपूत जाति में हुआ था। महिलाओं को घर से बाहर जाने पर
प्रतिबंध था, परंतु मीराबाई ने किसी की प्रवाह नहीं की। फिर उसका विवाह राजा से हो
गया। राणा जी धार्मिक विचार के थे। उसने मीरा को मंदिरों में जाने से नहीं रोका, अपितु
लोक चर्चा से बचने के लिए मीरा जी के साथ तीन-चार महिला नौकरानी भेजने लगा। जिस
कारण से सब ठीक चलता रहा। कुछ वर्ष पश्चात् मीरा जी के पति की मृत्यु हो गई। देवर
राजगद्दी पर बैठ गया। उसने कुल के लोगों के कहने से मीरा को मंदिर में जाने से मना
किया, परंतु मीराबाई जी नहीं मानी।
मीरा बाई कृष्ण जी के अटूट भगत थी

जिस श्री कृष्ण जी के मंदिर में मीराबाई पूजा करने जाती थी, उसके मार्ग में एक
छोटा बगीचा था। उसमें कुछ घनी छाया वाले वृक्ष भी थे। उस बगीचे में परमेश्वर कबीर
जी तथा संत रविदास जी सत्संग कर रहे थे। सुबह के लगभग 10 बजे का समय था। मीरा
जी ने देखा कि यहाँ परमात्मा की चर्चा या कथा चल रही है। कुछ देर सुनकर चलते हैं।
परमेश्वर कबीर जी ने सत्संग में संक्षिप्त सृष्टि रचना का ज्ञान सुनाया। कहा कि श्री
कृष्ण जी यानि श्री विष्णु जी से ऊपर अन्य सर्वशक्तिमान परमात्मा है। जन्म-मरण समाप्त
नहीं हुआ तो भक्ति करना न करना समान है। जन्म-मरण तो श्री कृष्ण जी (श्री विष्णु) का
भी समाप्त नहीं है। उसके पुजारियों का कैसे होगा। जैसे हिन्दू संतजन कहते हैं कि गीता
का ज्ञान श्री कृष्ण अर्थात् श्री विष्णु जी ने अर्जुन को बताया। गीता ज्ञानदाता गीता अध्याय
2 श्लोक 12, अध्याय 4 श्लोक 5, अध्याय 10 श्लोक 2 में स्पष्ट कर रहा है कि हे अर्जुन!
तेरे और मेरे बहुत जन्म हो चुके हैं। तू नहीं जानता, मैं जानता हूँ। इससे स्वसिद्ध है

कृष्ण जी का भी जन्म-मरण समाप्त नहीं है। यह अविनाशी नहीं है। इसीलिए गीता
अध्याय 18 श्लोक 62 में गीता बोलने वाले ने कहा है कि हे भारत! तू सर्वभाव से उस
परमेश्वर की शरण में जा। उस परमेश्वर की कृपा से ही तू सनातन परम धाम को तथा
परम शांति को प्राप्त होगा।
परमेश्वर कबीर जी के मुख कमल से ये वचन सुनकर परमात्मा के लिए भटक रही
आत्मा को नई रोशनी मिली। सत्संग के उपरांत मीराबाई जी ने प्रश्न किया कि हे महात्मा जी!
आपकी आज्ञा हो तो शंका का समाधान करवाऊँ। कबीर जी ने कहा कि प्रश्न करो बहन जी!
प्रश्न :- हे महात्मा जी! आज तक मैंने किसी से नहीं सुना कि श्री कृष्ण जी से ऊपर
भी कोई परमात्मा है। आज आपके मुख से सुनकर मैं दोराहे पर खड़ी हो गई हूँ। मैं मानती
हूँ कि संत झूठ नहीं बोलते। परमेश्वर कबीर जी ने कहा कि आपके धार्मिक अज्ञानी गुरूओं
का दोष है जिन्हें स्वयं ज्ञान नहीं कि आपके सद्ग्रन्थ क्या ज्ञान बताते हैं? देवी पुराण के
तीसरे स्कंद में श्री विष्णु जी स्वयं स्वीकारते हैं कि मैं (विष्णु), ब्रह्मा तथा शंकर नाशवान हैं।
हमारा आविर्भाव (जन्म) तथा तिरोभाव (मृत्यु) होता रहता है। (लेख समाप्त)
मीराबाई बोली कि हे महाराज जी! भगवान श्री कृष्ण मुझे साक्षात दर्शन देते हैं। मैं
उनसे संवाद करती हूँ। कबीर जी ने कहा कि हे मीराबाई जी! आप एक काम करो। भगवान
श्री कृष्ण जी से ही पूछ लेना कि आपसे ऊपर भी कोई मालिक है। वे देवता हैं, कभी झूठ
नहीं बोलेंगे। मीराबाई को लगा कि वह पागल हो जाएगी यदि कृष्ण जी से भी ऊपर कोई
परमात्मा है तो। रात्रि में मीरा जी ने भगवान श्री कृष्ण जी का आह्वान किया। त्रिलोकी नाथ
प्रकट हुए। मीरा ने अपनी शंका-समाधान के लिए निवेदन किया कि हे प्रभु! क्या आपसे
ऊपर भी कोई परमात्मा है? एक संत ने सत्संग में बताया है। श्री कृष्ण जी ने कहा कि मीरा!
परमात्मा तो है, परंतु वह किसी को दर्शन नहीं देता। हमने बहुत समाधि व साधना करके
देख ली है। मीराबाई जी ने सत्संग में परमात्मा कबीर जी से यह भी सुना था कि उस पूर्ण
परमात्मा को मैं प्रत्यक्ष दिखाऊँगा। सत्य साधना करके उसके पास सतलोक में भेज दूँगा।
मीराबाई ने श्री कृष्ण जी से फिर प्रश्न किया कि क्या आप जीव का जन्म-मरण समाप्त कर
सकते हो? श्री कृष्ण जी ने कहा कि असंभव। कबीर जी ने कहा था कि मेरे पास ऐसा भक्ति
मंत्रा है जिससे जन्म-मरण सदा के लिए समाप्त हो जाता है। वह परमधाम प्राप्त होता है
जिसके विषय में गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्त्वज्ञान तथा तत्त्वदर्शी संत की
प्राप्ति के पश्चात् परमात्मा के उस परमधाम की खोज करनी चाहिए जहाँ जाने के पश्चात्
साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आते। उसी एक परमात्मा की भक्ति करो। मीराबाई
ने कहा कि हे भगवान कृष्ण जी! संत जी कह रहे थे कि मैं जन्म-मरण समाप्त कर देता हूँ।
अब मैं क्या करूँ। मुझे तो पूर्ण मोक्ष की चाह है। श्री कृष्ण जी बोले कि मीरा! आप उस संत
की शरण ग्रहण करके अपना कल्याण कराओ। मुझे जितना ज्ञान था, वह बता दिया। मीरा
अगले दिन मंदिर नहीं गई। सीधी संत जी के पास अपनी नौकरानियों के साथ जाकर दीक्षा
लेने की इच्छा व्यक्त की तथा श्री कृष्ण जी से हुई वार्ता भी संत कबीर जी से साझा की।

आज वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज ही तत्वदर्शी संत हैं जो जन्म और मृत्यु से पीछा छुड़ाने की भगति साधना बताते हैं जिससे पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति होती है

देखिए साधना Tv 7 :30 pm से


Krishna Janmashtami 

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